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Gujrat : जिस विधायक पर है हत्या-दंगे के 15 आरोप, अब वही संभालेंगे डीपीसीए की जिम्मेदारी

नई दिल्ली। गुजरात में बीजेपी सरकार ( BJP Government ) अपने एक निर्णय की वजह से विपक्षी पार्टियों के निशाने पर आ गई है। इस मुद्दे पर विरोधी दलों के सख्त तेवर की वजह से सरकार कि किरकरी हो रही है। दरअसल, यह मामला गुजरात सरकार ( Gujrat Government ) द्वारा एनसीपी विधायक कांधाल जड़ेजा ( NCP MLA Kandhal Jadeja ) को जिला पुलिस शिकायत केंद्र ( DPCA ) का सदस्य बनाने से जुड़ा है।

बता दें कि गुजरात सरकार ने 46 जिलों में 46 विधायकों को जिला पुलिस शिकायत केंद्र ( District Police Complaints Authority ) का सदस्य बनाया है। इनमें नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी ( NCP ) से विधायक कंधाल जडेजा ( Kandhal Jadeja ) की सदस्यता को लेकर अब विरोधी दलों के नेता सवाल उठा रहे हैं।

इस मामले में पोरबंदर जिले की कुतियाना विधानसभा (Kutiyana constituency) से विधायक कंधाल जडेजा 'गॉडमदर' के नाम से मशहूर संतोकबेन जडेजा के बेटे हैं। उन पर 15 गंभीर धाराओं में आपराधिक मामले दर्ज हैं।

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कंधाल जडेजा 'गॉडमदर' संतोकबेन जडेजा के बड़े बेटे हैं। उन पर बंदूक तानने, विस्फोटक रखने, रंगदारी मांगने, मारपीट करने, फर्जीवाड़ा करने और पुलिस कस्टडी से भागने समेत कई गंभीर मामले दर्ज हैं. कंधाल जडेजा पर दर्ज मामले में तीन दंगा भड़काने के आरोप हैं, जो उनके विधायक रहते हुए दर्ज हुए हैं. कुल 15 मामलों में 10 पोरबंदर जिले में, 3 राजकोट और 2 अहमदाबाद शहर में दर्ज हुए हैं।

जानकारी के मुताबिक कंधाल 1994 से ही क्राइम की दुनिया में सक्रिय हैं। उसी साल उन्हें गैरकानूनी तरीके से हथियार रखने का आरोपी बनाया गया था। वह 1995 में बहुचर्चित प्रकाश मोढ़ा और 2005 में केशु ओडेडेरा मर्डर केस में ट्रायल का सामना कर चुके हैं। इता ही नहीं कंधाल जड़ेजा की बीवी रेखा जडेजा की भी हत्या हो चुकी है।

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क्या है डीपीसीए?

जिला पुलिस शिकायत केंद्र ( DPCA ) एक ऐसा मंच है जहां कोई भी व्यक्ति जिले के किसी भी रैंक के पुलिस अधिकारी के खिलाफ शिकायत कर सकता है। गुजरात पुलिस अधिनियम के मुताबिक जिला पुलिस शिकायत केंद्र पुलिस अधिकारियों से ड्यूटी के दौरान कर्तव्य का पालन न करना, अपमान करना, शक्तियों का दुरुपयोग करना और ऐसे अन्य मामलों के बारे में पूछताछ कर सकता है।

राज्य सरकार को इन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया जा सकता है। यह केंद्र पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कदाचार की शिकायतों के मामलों में विभागीय पूछताछ की प्रगति की निगरानी भी कर सकता है।



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