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Border dispute : चीन अपने स्टैंड पर कायम, भारत ने सेना कम न करने का लिया फैसला

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख ( East Ladakh ) से लगे वास्तविक नियंत्रण रेखा ( LAC ) पर भारत-चीन ( India-China ) के बीच जारी तनाव और लंबा खिंचता जा रहा है। चीन पीछे न हटने के अपने रुख पर अड़ा है। जबकि भारत अप्रैल से पहले वाली स्थिति पर चीन को वापस लौटने पर जोर दे रहा है। इस बीच भारत ने चीनी रुख में परिवर्तन के आसार न होता देख एलएसी से सैनिकों की संख्या कम न करने जैसा अहम फैसला लिया है। इस फैसले से साफ है कि सीमा पर तनाव का दौर जारी रहेगा और ठंड में भी यही स्थिति बनी रहेगी।

दूसरी तरफ सीमा विवाद को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ( Defence minister Rajnath Singh ) ने पूर्वी लद्दाख में संपूर्ण सुरक्षा स्थिति की शनिवार को समीक्षा की। अधिकारियों ने बताया कि यह समीक्षा बैठक भारत और चीन के बीच सीमा पर जारी गतिरोध को सुलझाने के लिए राजनयिक स्तर पर हुई वार्ता के दो दिन बाद हुई है। बता दें कि यह बैठक उत्तरी और पश्चिमी मोर्चों पर सुरक्षा स्थिति और सैन्य तैयारियों की समीक्षा के लिए हुई थी।

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चीन सीमा विवाद सुलझाने को लेकर गंभीर नहीं

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस बैठक में भारत किसी भी हाल में सैनिकों की संख्या कम नहीं करने का फैसला लिया है। एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि भारतीय सेना ने चीन के साथ बातचीत में मजबूती के साथ कहा कि विवाद को सुलझाने के लिए अप्रैल से पहले वाली स्थिति बहाल होनी चाहिए। वैसे, सेना का आकलन है कि चीनी सैनिक सीमा विवाद ( Border dispute ) को सुलझाने के लिए गंभीर नहीं हैं।

दोनों पक्षों के बीच 20 अगस्त को राजनयिक स्तर की अगले चरण की वार्ता हुई थी, जिसके बाद विदेश मंत्रालय ( MEA ) ने कहा कि उन्होंने त्वरित तरीके से और निर्धारित समझौते और प्रक्रिया के मुताबिक लंबित मुद्दों के समाधान के लिए सहमति जताई है। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि बैठक में कोई महत्वपूर्ण समाधान नहीं हो सका।

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एलएसी को बदलना भारत को स्वीकार्य नहीं

जानकारी के मुताबिक सैन्य वार्ता में भारतीय सेना ( India Army ) ने स्पष्ट कर दिया कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ( PLA ) द्वारा एलएसी को 'बदलना' स्वीकार्य नहीं है। जबकि चीनी सेना की कोशिश पूर्वी लद्दाख में अपनी कार्रवाई को उचित ठहराने की रणनीति पर काम करने की है। यही कारण है कि भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख में कड़ाके की ठंड में भी सैनिकों की तैनाती कायम रखने की तैयारी कर रही है।

मुंहतोड़ जवाब देने का संदेश दिया

जानकारी के मुताबिक इस बैठक में सेना प्रमुख जनरल नरवणे ( Army Chief MM Naravane ) पहले ही एलएसी की अग्रिम इलाकों की तैयारियों को देख रहे अपने सभी वरिष्ठ कमांडरों को सतर्क रहने और चीन के किसी भी दुस्साहस का आक्रमक तरीके से जवाब देने का संदेश दे चुके हैं। सेना हथियार, गोलाबारूद और अग्रिम मोर्चो पर डटे जवानों के लिए विशेष वर्दी खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है क्योंकि एलएसी के कई इलाकों में सर्दियों के दिनों में तापमान शून्य से 25 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है। इसके साथ ही भारत लद्दाख में नई सड़कें बिछाने का भी काम कर रहा है।

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सुरक्षा के लिहाज से इस अहम बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और वायु सेना प्रमुख आर के एस भदौरिया ने बैठक में शिरकत की।

सैन्य कमांडरों ने भी की सैन्य तैयारियों की समीक्षा

बता दें कि इससे पहले 21 और 22 अगस्त को सेना के कमांडरों की बैठक हुई थी। माना जा रहा है कि दो दिवसीय सम्मेलन में सेना के कमांडरों ने चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर उत्पन्न होने वाली संभावित चुनौतियों और उनसे प्रभावी तरीके से निपटने पर चर्चा की।



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