180 की स्पीड से दौड़ेगी Private Train, स्लाइडिंग डोर समेत कई तरह की हाइटेक सुविधाएं!
नई दिल्ली।
Indian Railways: देश में प्राइवेट ट्रेनों ( Private Trains ) में भी हाइटेक फीचर्स हो सकते हैं। इन ट्रेनों को मेट्रो ( Metro ) और वंदे भारत एक्सप्रेस ( Vande Mataram Train ) की तर्ज पर डिजाइन किया जा सकता है। इनमें इलेक्ट्रॉनिक स्लाइडिंग दरवाजे ( Sliding Doors Facilities ), ब्रेल साइनेज, डबल ग्लेज्ड सेफ्टी ग्लास के साथ खिड़कियां, इमरजेंसी टॉक-बैक तंत्र, पैसेंजर सर्विलांस सिस्टम और सूचना एवं डेस्टिनेशन बोर्ड शामिल हैं।
टॉक-बैक सिस्टम के जरिए यात्री किसी इमरजेंसी में रेल कर्मचारी से संपर्क कर सकेगा। रेलवे ने प्राइवेट ट्रेन के लिए एक ड्रॉफ्ट तैयार किया है। इस ड्रॉफ्ट में रेलवे ने निजी ऑपरेटरों से इन सुविधाओं की मांग की है। ड्रॉफ्ट को साझा करते हुए रेलवे ने बताया कि ट्रेन साउंड प्रूफ होगी, यात्री शोर-मुक्त यात्रा कर सकेंगे। रेलवे के मुताबिक, ये ट्रेनें 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने में सक्षम होंगी।
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506 रूट पर चलेंगी ट्रेनें
रेलवे (Indian Railways) ने बुधवार को निजी कंपनियों के समक्ष प्राइवेट ट्रेनों (High Speed Private Trains) को लेकर ड्रॉफ्ट रखा। रेल मंत्रालय ने अपने इस मसौदे में मार्च 2023 से चरणबद्ध तरीके से 506 मार्गों पर चलाई जाने वाली प्राइवेट ट्रेनों के लिए प्रारूप और निर्देश को शामिल किया है। प्रत्येक ट्रेन में कम से कम 16 डिब्बे होंगे।
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180 की रफ्तार से दौड़ेगी ट्रेनें
इन ट्रेनों को डिजाइन बेहद हाइटेक होगा, इसमें सेफ्टी का पूरा ध्यान रखा जाएगा, ताकि 180 किमी/घंटे की अधिकतम रफ्तार में भी सेफ हो सके। ये ट्रेनें 140 सेकंड में 160 किमी की रफ्तार पकड़ने में सक्षम होगी। ट्रेनों में इमरजेंसी ब्रेक सिस्टम को इस तरह से तैयार किया जाएगा कि 160 किमी/घंटे की रफ्तार से यात्रा करते समय 1,250 मीटर से कम दूरी पर उन्हें रोका जा सकता है। इन ट्रेनों की उम्र 35 साल तक होनी चाहिए।
23 कंपनियों ने दिखाई रुचि
जीएमआर, सीएएफ इंडिया, एल्सटॉम, बांबबार्डियर, सीमंस, आईआरसीटीसी, मेधा, भेल, सीएएफ, स्टरलाइट, भारत फोर्ज, जेकेबी इंफ्रास्ट्रक्चर और बीएचईएल जैसी जीएमआर पीएसयू समेत 23 कंपनियों ने रेलवे के इस प्रोजेक्ट में रुचि दिखाई है। इसके लिए प्राइवेट कंपनियों से आवेदन मांगे हैं। इसके तहत प्राइवेट ट्रेनों को 109 रूटों पर चलाया जा सकता है। इसके लिए प्राइवेट कंपनियों को 30 हजार करोड़ रुपये का निवेश करना होगा।
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