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Ladakh में इस बार नहीं गलेगी China की दाल, फारवर्ड फ्रंट पर बढ़ेगी सेना की तैनाती, ड्रैगन पर रहेगी सैटेलाइट की नजर

नई दिल्ली। साल 1962 की युद्ध में चीन से मिली करारी हार से सीख लेते हुए इस बार भारत सरकार और सेना किसी तरह की भूल से बचना चाहती है। यही कारण है कि लद्दाख ( Ladakh ) से लेकर अरुणाचल प्रदेश ( Arunachal Pradesh ) तक की सीमा पर हालिया शांति वार्ता ( Peace Talk ) के बावजूद सेना अपनी मौजूदी बनाए रखना चाहती है। चीन की गद्दारी ( Chinese deceit ) का मुंहतोड जवाब देने के लिए भारतीय सेना ( Indian Army ) आक्रामक युद्ध रणनीति पर काम कर रही है।

ये सही है कि दो महीने से भी अधिक समय से तनाव के बाद अब वास्तविक नियंत्रण रेखा ( LAC ) पर जारी टकराव कम हो रहा है। अगले कुछ दिनों में इसके खत्म होने की उम्मीद भी है, लेकिन इतिहास से बक लेते हुए भारतीय सेना एलएसी पर अपनी युद्ध रणनीति ( War Strategy ) में अहम बदलाव की तैयारियों में जुट गई है।

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जानकारी के मुताबिाक भविष्य में वहां पहले की अपेक्षा ज्यादा सैनिक तैनात किए जाएंगे। नई सैन्य रणनीति के तहत गलवान घाटी ( Galwan Valley ) से लेकर पेंगोंग लेक ( Pangong Lake ) इलाके तक के करीब सवा दो किलोमीटर क्षेत्र में सेना एवं आईटीबीपी ( ITBP ) की तैनाती में इजाफा किया जाएगा। यह इजाफा मई से पहले की तुलना में ज्यादा होगा।

वर्तमान में लद्दाख में सेना के 4 डिवीजन तैनात हैं। चीनी सेना के पीछे हटने के बाद इनकी मौजूदगी को कम किया जाएगा। लेकिन हालात सामान्य होने के बावजूद इस बार एलएसी ( LAC ) के इस हिस्से को संवेदनशील मानकर अतिरिक्त तैनाती की जाएगी।

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एलएसी के पीछे लेकिन फारवर्ड फ्रंट ( Forward front ) पर कम से कम 6 से 8 हजार अतिरिक्त जवानों की तैनाती की जा सकती है। इसमें सेना एवं आईटीबीपी दोनों के जवान शामिल होंगे। सेना की तैनाती का मकसद यह है कि भविष्य में चीन की किसी भी धोखेबाजी से निपटने के लिए सेना हमेशा तत्पर रहे। ताकि भारतीय हितों को नुकसान न पहुंचे।

सैन्य सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मौजूदा टकराव वाले क्षेत्रों के निकट तैनाती को नई रणनीति के तहत व्यवस्थित किया जाएगा। निगरानी की प्रक्रिया को भी व्यापक बनाया जा सकता है। इसमें पेट्रोलिंग के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस ( Electronic surveillance ) भी आरंभ किए जाने की संभावना है।

इस बार उपग्रह के जरिए भी चीनी गतिविधियों पर विशेष फोकस रखा जाएगा। इंडियन सैटेलाइट ( Indian Satellite ) के जरिए बॉर्डर इलाके में निरंतर चीन की गतिविधियों पर नजर रखने का काम किया जाएगा।



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