Coronavirus को लेकर हुआ शोध, पांच दिन तक रह सकता है जिंदा, 10 घंटे के अंदर बड़े क्षेत्र में कर सकता है प्रसार

नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus in India) ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया है। भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus Outbreak) महामारी के 22,252 नए मामले सामने आने के बाद मंगलवार को देश में संक्रमण के मामले बढ़कर सात लाख के पार पहुंच गए। वहीं, 467 और लोगों की जान जाने के बाद इससे मरने वालों की संख्या 20,160 हो गई।
कोरोना वायरस (Coronavirus) के फैलने की सबसे बड़ी वजह यह है कि अभी तक इसके इलाज को लेकर कोई वैक्सीन (Corona Vaccines) व दवा सामने नहीं आई है। इस महामारी को लेकर हर दिन नए शोध व अध्ययन किए जा रहे हैं। इस बीच ब्रिटेन में लंदन कॉलेज यूनिवर्सिटी (London College University) ने एक शोध जर्नल ऑफ हॉस्पिटल इंफेक्शन (Journal of Hospital Infection) में प्रकाशित किया है। जिसमें सामने आया है कि कोरोना मरीज के खांसने, छींकने या बात करने के दौरान नाक या मुंह से जो ड्रॉपलेट्स निकलते हैं उनके जरिए संक्रमण फैलने की संभावना रहती है, लेकिन यह ड्रॉपलेट्स (Droplets) किसी मेटल प्लास्टिक या अन्य किसी सतह पर पड़े हो तो इन सहतो पर वायरस 5 दिनों तक जिंदा रहता है। जिसे छूने से और फिर उन्हीं हाथों से अपना चेहरा छूने से यह वायरस हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है।
किसी सतह पर कोरोना वायरस कितनी देर जिंदा रह सकता है, इसको लेकर पहले भी कई तरह के अध्ययन हो चुके हैं। अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सीडीसी, ब्रिटेन की स्वास्थ्य एजेंसी एनएचएस (UK Health Agency NHS) समेत कई संस्थानों ने इस पर शोध अध्ययन किए हैं।
10 घंटे के अंदर बड़े क्षेत्र में कर सकता है प्रसार
अध्ययन के मुताबिक, कोरोना वायरस किसी सतह पर पांच दिनों तक जिंदा रह सकता है और साथ ही 10 घंटे के भीतर बड़े क्षेत्र में अपना प्रसार कर सकता है। लंदन कॉलेज यूनिवर्सिटी (London College University) के इस शोध अध्ययन के अनुसार, पांचवे दिन के बाद संक्रमण में कमी देखी गई।
निकला चौंकाने वाला परिणाम
इस अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने ब्रिटेन के ग्रेट ओरमंड स्ट्रीट अस्पताल में बेड की रेलिंग पर संक्रमण छोड़ा और इसके 10 घंटे बाद पूरे अस्पताल का गहराई से अवलोकन किया तो चौंकाने वाले परिणाम सामने आए। शोधकर्ताओं ने पाया कि संक्रमण पूरे वार्ड के कोने-कोने तक फैल चुका है।
50 फीसदी नमूनों में मिला वायरस
शोधकर्ताओं ने प्रयोग के दौरान एक कोरोना मरीज की सांस से लिए वायरस के साथ कृत्रिम तौर पर पौधों को संक्रमित करने वाले एक अन्य वायरस का इस्तेमाल किया, जो मनुष्य को संक्रमित नहीं कर सकता था। इन दोनों वायरस को पानी की एक बूंद में मिलाकर बेड की रेलिंग पर छोड़ दिया गया। बाद में अस्पताल से लिए गए 50 फीसदी नमूनों में वायरस मिला।
5 दिन में 44 स्थानों में सैकड़ों नमूने
शोधकर्ताओं ने पांच दिनों में वार्ड के 44 स्थानों से सैकड़ों नमूने लिए। 10 घंटे बाद ही लिए गए नमूनों से खुलासा हुआ कि बेड रेलिंग, वेटिंग रूम, दरवाजों के हैंडल, कुर्सियों से लेकर किताबों और बच्चों के खिलौनों तक वायरस फैल चुका था। शोधकर्ताओं ने इसके तीन दिन बाद फिर नमूने लिए। शोधकर्ताओं ने पाया कि वायरस का संक्रमण 41 फीसदी से बढ़कर 59 फीसदी क्षेत्र तक फैल चुका था।
पांच दिन के बाद संक्रमण में कमी
इस शोध अध्ययन के तीसरे दिन तक करीब 86 फीसदी नमूनों में वायरस का संक्रमण मिला। हालांकि शोधकर्ताओं के मुताबिक, पांच दिन के बाद संक्रमण में कमी देखी गई। इस अध्ययन की अग्रणी शोधकर्ता डॉ. लीना सिरिक के मुताबिक, अध्ययन स्पष्ट करता है कि कैसे किसी सतह से भी वायरस का संक्रमण कितनी तेजी से फैल सकता है।
गौरतबल है कि भारत में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि लगातार पांचवे दिन देश में 20,000 से अधिक नए मामले सामने आए हैं। मंत्रालय द्वारा सुबह आठ बजे अद्यतन आंकड़ों के अनुसार देश में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या 7,19,665 पर पहुंच गई है। इनमें से अभी तक 4,39,947 लोग ठीक हो चुके हैं और 2,59,557 लोगों का इलाज जारी है।
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