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India-China Tension: सच्चाई पर पर्दा डालने में महारत है चीन, ये है ड्रैगन के झूठों का लिस्ट

नई दिल्ली। भारत ( India ) और चीन ( China ) के बीच एक बार काफी विवाद बढ़ गया है। लद्दाख ( Ladakh ) के गलवान वैली ( Galwan Valley ) में भारतीय और चीन सेना के बीच हिंसक झड़प हुई है। इस झड़प में दोनों देशों को नुकसान पहुंचा है। वहीं, चीन पर काफी गंभीर आरोप भी लगने से शुरू हो गए हैं। हाल ही में दुनिया के खतरनाक महामारी में शामिल कोरोना वायरस ( coronavirus ) को लेकर भी चीन पर आरोप लगे कि वह सच को छिपा रहा है। हालांकि, इससे पहले भी चीन ने कई बार सच पर पर्दा डालने की कोशिश की है और खुद को बचाने के लिए झूठ का सहारा लिया है।

Coronavirus को लेकर चीन ने बोला झूठ

कोरोना वायरस ( coronavirus in World ) को लेकर पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है। चीन पर आरोप लगे है कि उसने न केवल इस महामारी को छिपाने की कोशिश की बल्कि वहुान शहर में मरने वालों का आंकड़ा भी छिपाया है। वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी ( washington university ) और ओहियो स्‍टेट यूनिवर्सिटी ( ohio state university ) ने दावा किया है कि चीन ने जितनी मौतें बताई थी, उससे तकरीबन 10 गुना ज्यादा मौतें हुईं हैं। मौतों की संख्या वुहान के श्मशान में हो रही गतिविधियों के आधार पर बताया गया है। इतना ही नहीं जहां पूरी दुनिया कह रही है कि यह खतरनाक वायरस चीन के वुहान शहर से फैला है। वहीं, चीन का कहना है कि अमरीका से यह महामारी पूरी दुनिया में फैली है।

1989 में भी चीन ने बोला था झूठ

साल 1989 में थियानमेन चौक नरसंहार (Tiananmen Square Massacre) में काफी संख्या में छात्रों और युवा समर्थकों को सरेआम गोलियों से भून दिया गया था। इस पर चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने कहा था कि दंगे रोकने के दौरान 200 लोग मारे गए और दर्जनों पुलिसवाले घायल हो गए। इस आंदोलन से चीनी सरकार भड़क गई और प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए मार्शल लॉ लगाया। बाद में खुलासा हुआ कि इस हादसे में तकरीबन 10 हजार लोग मारे गए थे।

कई और मामलों पर बोल झूठ बोल चुका है चीन

पश्चिमी चीन में उइगर मुस्लिमों ( Uighur Muslims) से साथ हिंसा पर चीन ने पल्ला झाड़ लिया था। उइगर मुसलमानों के खिलाफ चल रहे सरकारी कार्यक्रमों काफी महत्वपूर्ण कागजात लीक हो चुके हैं। महिलाओं पर अत्याचार किए जा रहे हैं। बच्चों को उनके परिवारवालों से अलग करके रखा जाता है और उन्हें चीनी संस्कृति की शिक्षा दी जा रही है। लेकिन, चीन ने इस बात से साफ इनकार कर दिया। सरकार का कहना है कि वो शिनजियांग प्रांत में बढ़ते अंसतोष और आतंकवाद की घटनाओं पर काबू पाने के लिए यह कार्यक्रम चला रही है। चीन पर डिटेंशन कैंपों में रह रहे कैदियों के बॉडी पार्ट्स जबर्दस्ती निकालने के आरोप लगते रहे हैं। हालांकि, साल 2015 में चीन कहा कि ये प्रैक्टिस अब बंद हो चुकी है।

1962 में भी China ने बोला था झूठ

इसके अलावा साल 1962 में चीन ने कभी भारत पर हमले की धमकी नहीं दी थी। बातचीत के जरिए सीमा विवाद को सुलझाने की बात करता रहा। लेकिन, अचानक उसने हमला कर दिया था। ऐसे कई और मामले हैं, जिसपर हमेशा चीन झूठ बोलता रहा है। लेकिन, उसकी सच्चाई किसी न किसी तरीके से सामने आ गई।



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