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"लॉकडाउन की कोई योजना नहीं, लॉकडाउन से राज्यों की हालत खराब हुई"

नई दिल्ली. पत्रिका कीनोट सलोन में चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने कहा है कि राजस्थान में आने वाले दिनों में किसी भी तरह के लॉकडाउन की कोई संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन इस महामारी का स्थायी समाधान नहीं है। हमने लॉकडाउन एक के बाद दो, तीन और चार व पांच में कई तरह की छूट दी है। अब देश में इकॉनोमी भी जरूरी है, देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद होने से भी रोकना होगा। राज्य कठिनाई में है। ऐसे में आने वाले समय में प्रदेश के भीतर किसी भी तरह की लॉकडाउन की योजना नहीं है।

राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा बुधवार को पत्रिका कीनोट सलोन में सवालों का जवाब दे रहे थे। शो का मॉडरेशन पत्रिका के विनोद चौहान और विकास जैन ने किया। इस मौके पर रघु शर्मा ने कहा कि मार्च की शुरूआत में राजस्थान में पहला मरीज मिलने के बाद मात्र 12—13 दिनों मे जांच की सुविधा बढ़ाई गई। यह क्षमता अब 26 हजार प्रतिदिन जांच तक पहुंच चुकी है। आने वाले दिनों में यह 40 हजार प्रतिदिन तक हो जाएगी। पॉजिटिव केस समय पर चिन्हित हो जाएगा तो उस मरीज को बचाया जा सकेगा। इसी थीम पर प्रदेश में काम किया गया। जो 372 मौतें राजस्थान में हुई, उनमें भी 95 प्रतिशत का कारण कोविड से संबंधित नहीं था, ये मरीज, दिल, हॉर्ट , किडनी, डायबिटीज सहित अन्य बीमारियों के थे। 70—75 प्रतिशत मरीज ऐसे थे, जो मृत अवस्था में ही अस्पताल पहुंचे थे।


सवाल — लॉकडाउन खुलने के बाद तेजी से मरीज बढ़े, क्या कारण रहे?
जवाब — सबसे बड़ी चिंता तब हुई, जब 15 लाख माइग्रेंट लोग दूसरे ऐसे राज्यों से आए जहां सर्वाधिक संक्रमण था यानि वे रेड जोन थे। लेकिन उसके बाद भी प्रदेश में प्रवासियों की संक्रमण दर व उनके उपचार को नियंत्रित किया गया, माइक्रो लेवल पर प्लानिंग का असर यह हुआ कि इनमें से भी अधिकांश मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। गांवों में कमेटियां बनाई गई, जिन्होंने एक एक मरीज पर नजर रखी।

सवाल — रामगंज में प्रबंधन पर सवाल भी उठे, भीलवाड़ा मॉडल कैसे बना?
जवाब — पूरे देश में भीलवाड़ा मॉडल की चर्चा हुई। पूरे इलाके को सील किया गया। करीब 3200 टीमें बनी। 28 लाख लोगों को घर घर जाकर स्क्रीन किया, 6 लाख लोगों को होम क्वारंटीन किया गया । तमाम कदम वहां उठाकर भीलवाड़ा को जीरो किया गया। रामगंज की आबादी घनी है, चारदीवारी के एक मकान में कई सदस्य व परिवार रहते हैं। रामगंज में संक्रमण फैलने लगा तो एक बार लगा कि कहीं कम्युनिटी संक्रमण नहीं हो जाए। पूरे इलाके की मैपिंग की, 30 क्लस्टर्स में बांटा। एक—एक क्लस्टर्स से रेंडमली सैंपल लिए गए। जो पॉजिअिव निकलते गए, उनको संस्थानिक क्वारंटीन में भेजते रहे। नायला सहित कई जगह राजधानी में सरकारी क्वॉरंटीन की सुविधा हमने विकसित की। रामगंज में धर्म गुरूओं को समझाया गया। रामगंज देश के उन चार शहरों के इलाकों में शामिल है, जहां सर्वाधिक बेहतर प्रबंधन किया गया। प्रधानमंत्री ने हमारी तारीफ की, विपक्ष के नेताओं को भी हमने विश्वास में लिया।


सवाल — राजस्थान के कोरोना वॉरियर्स का किस तरह का योगदान मानते हैं सरकार के प्रबंधन के दावे के साथ?
जवाब — हमारे यहां प्लाजमा थैरेपी के बेहतर परिणाम आए हैं। जब तीन या चार मरीज थे, तभी हमारे डॉक्टरों ने स्वाइन फ्लू, मलेरिया और एचआईवी के मरीजों में काम ली जाने वाली दवाओं के कांबिनेशन से चार मरीजों को स्वस्थ कर दिया। बाद में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का उपयोग बचाव के लिए किया गया। रिकवरी का प्रतिशत गवाह है हमारे वॉरियर्स की मेहनत का। आमतौर पर पुलिस के प्रति लोगों की धारणा अच्छी नहीं होती, लेकिन उनका काम भी बेमिसाल रहा है।

सवाल — क्या क्वॉरंटीन नियमों का पालन पूरी तरह से हुआ?
जवाब — सात लाख 25 हजार लोगों को एक समय हमने होम क्वॉरंटीन रखा, जिन्होंने तोड़ा उनको संस्थानिक में भेजा, कुछ पर केस भी दर्ज किया है।

सवाल — कोरोना से जूझने के लिए मेन पॉवर की कमी अभी भी बरकार है?
जवाब — नर्सिंग—डॉक्टरों सहित अन्य संवर्ग की भर्तियां कर दी गई हैं या शुरू कर दी गई हैं। मेडिकल कॉलेज पहली बार सभी जिलों में होंगे, यह हमें आगे की लड़ाई में मदद करेंगे।

सवाल — निजी अस्पतालों पर सरकार लगाम नहीं कस पाई, सरकारी से भी अमानवीय तस्वीरें सामने आ रही हैं?
जवाब — कुछ मामलों के कारण यदि पूरा चिकित्सा क्षेत्र बदनाम होता है तो हम ऐसे अमानवीय कृत्य करने वालों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। चाहे सरकारी हो निजी डॉक्टर या अस्पताल। उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि हमारे वॉरियर्स ने अपनी जान पर आकर लोगों की जिंदंगियां बचाई हैं।

सवाल — मध्यप्रदेश में बिजली के बिलों पर राहत दी गई है, राजस्थान में कोई कदम क्यों नहीं उठाया गया?
जवाब — मध्यप्रदेश ने क्या किया इसका पता नहीं है, लेकिन इस समय राज्यों व केन्द्र की स्थितियां अच्छी नहीं हैं। राजस्थान सरकार हर वर्ग के लिए काम कर रही है। किसान, पेयजल, बिजली, टिड्डी नियंत्रण सब पर सरकार का पूरा फोकस है।



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