अमरीकी राजनयिक से बातचीत में बोले-राहुल, विभाजन करने वाले खुद को राष्ट्रवादी कहते हैं

नई दिल्ली। कोरोना वायरस संकट ( Coroanvirus ) के बीच कांग्रेस नेता ( Congress leader ) राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) ने शुक्रवार को पूर्व अमरीकी राजनयिक ( American Ambassador ) निकोलस बर्न्स ( Nicholas Burns ) से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि विभाजन वास्तव में देश को कमजोर करने वाला होता है, लेकिन विभाजन करने वाले लोग इसे देश की ताकत के रूप में चित्रित करते हैं। देश की नींव को कमजोर करने वाले लोग खुद को राष्ट्रवादी कहते है।
वहीं बर्न्स ने कहा, हमारे देशों के सामने कोई चुनौती है, तो चीन-रूस जैसे देश हैं। हम लड़ाई नहीं चाहते हैं लेकिन अपनी सुरक्षा करना हमारा फर्ज है।
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बर्न्स ने कहा कि जब हम मनमोहन सिंह के साथ काम कर रहे थे, तब हमारे देशों के बीच ट्रेड, मिलिट्री पर काम होता था। साथ ही हम बड़े विचार पर भी काम कर रहे थे, लेकिन अब वक्त है कि दोनों देशों को एक साथ आना होगा और लोगों को आजादी देनी होगी। हम चीन से लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन एक विचारों की जंग जरूर हो रही है।
राहुल ने कहा, भारत और अमरीका दोनों ही सहिष्णु देश हैं। नए आइडिया को समझते हैं और किसी भी विचार की इज्जत करते हैं। लेकिन आज दोनों देशों में दिक्कत हो रही है।
बर्न्स ने कहा, आज अमेरिका के लगभग हर शहर में इस तरह का प्रदर्शन हो रहा है, जो लोकतंत्र के लिए मायने रखता है अगर हमें चीन जैसे देश को देखते हैं, तो हम काफी बेहतर हैं। भारत में भी यही है वहां भी लोकतंत्र है और लंबे संघर्ष के बाद आजादी मिली है। हमें उम्मीद है कि अमरीका का लोकतंत्र फिर मजबूत होगा।
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मुझे लगता है कि डोनाल्ड ट्रंप सोचते हैं कि वो सबकुछ ठीक कर सकते हैं। लेकिन हमारे यहां सेना के लोगों ने ही कह दिया है कि हम सेना सड़क पर नहीं उतारेंगे, हम संविधान के हिसाब से चलेंगे राष्ट्रपति के हिसाब से नहीं। अमेरिकी लोगों को प्रदर्शन करने का हक है, लेकिन सत्ता में बैठे लोग लोकतंत्र को चुनौती दे रहे हैं। चीन और रूस जैसे देशों में अभी भी अधिनायकवाद हो रहा है।
पहले की तरह सहिष्णुता
राहुल ने कहा, हम खुले विचारों वाले हैं, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि वो अब गायब हो रहा है। यह काफी दुःखद है कि मैं उस स्तर की सहिष्णुता को नहीं देखता, जो मैं पहले देखता था। ये दोनों ही देशों में नहीं दिख रही।
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