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मासूम के लिए तोड़ दी मजहब की दीवार, सलीम ने रोजा तोड़कर निखिल को दिया अपना खून

नई दिल्ली। एक तरफ पूरा देश इन दिनों कोरोना वायरस ( coronavirus ) की चपेट में है। वहीं, दूसरी रमजान ( Ramadan ) का पावन महीना चल रहा है। लेकिन, इसी बीच झारखंड ( Jharkhand ) से एक ऐसा मामला सामने आया है, जो चर्चा का विषय बन चुका है। यहां एक शख्श ने मजहब की दीवार को तोड़ते हुए आठ साल के मासूम को रक्तदान ( Blood Donate ) किया है। सलीम ( Saleem ) नामक शख्स ने रोजा तोड़कर आठ साल के निखिल ( Nikhil ) को अपना खून दिया।

मासूम के लिए तोड़ी मजहब की दीवार

झारखंड के गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड स्थित कुसमरजा के रहने वाले सलीम अंसारी ने मानवता की अनूठी मिसाल पेश की है। बताया जा रहा है कि उसके गांव का ही आठ साल का निखिल कुमार निमोनिया से पीड़ित था और हजारीबाग के एक नर्सिंग होम में उसका इलाज चल रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, निखिल की स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है। उसे बार-बार खून की जरूरत पड़ रही है। वहीं, सलीम अंसारी को जब निखिल के बारे में पता चला तो उसने न केवल लॉकडाउन की परवाह नहीं की बल्कि मजबह की दीवारें तक तोड़ दी। आनन-फानन में सलीम हजारीबाग पहुंचा और समय से पहले रोजा तोड़कर निखिल को रक्तदान किया और उसकी जान बचाई। निखिल के भाई फलजीत कुमार का कहना है कि एक सप्ताह पहले भी छोटे भाई को खून की जरूरत हुई थी, उस समय ब्लड बैंक में ए पोजिटिव खून उपलब्ध था। जिसके कारण उस समय उसने खुद रक्तदान किया था। निखिल को पेशाब के रास्ते से खून आ रहा है।

खून देकर बचाई मासूम की जिंदगी

बताया जा रहा है कि खून नहीं मिलने के कारण निखिल के परिजन काफी परेशान थे। इसकी बात की सूचना गांव में दी गई। वहीं, यह बात जब सलीम अंसारी को पता चली तो उसने तुरंत फलजीत को फोन किया और ब्लड देने की बात कही। हालांकि, लॉकडाउन के कारण सलीम को परेशानी भी हुई है। इसके बावजूद वह नहीं रुका और अपने खून से निखिल को एक नई जिदंगी दी। इस बात की चर्चा पूरे इलाके में हो रही है और लोग सलीम की तारीफ करते नहीं थक रहे।



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