बॉयज लॉकर रूम मामले में ग्रुप के 6 छात्रों से साइबर सेल ने चार घंटे तक की पूछताछ

बॉयज लॉकर रूम ग्रुप नाम से सामने आए एक अजीबो-गरीब मामले में साइबर सेल जांच कर रही है। सोइबर सेल ने गुप के छह स्टूडेंट्स से लगभग चार घंटे तक पूछताछ की है। यह सभी नोएडा के रहने वाले हैं। साइबर सेल की ओर से इन्हें नोटिस जारी करके जांच में शामिल होने को कहा गया था। जानकारी के अनुसार, ये सभी छात्र बालिग हैं। इनसे कई जानकारियां हासिल की गई हैं, जिनके आधार पर ग्रुप एडमिन से पूछताछ की जा रही है। साइबर सेल जल्द ही इस मामले में और खुलासा कर सकती है।
अब तक 20 छात्रों की जांच
मामला सामने आने के बाद पुलिस ने ग्रुप एडमिन को गिरफ्तार किया है। उसके साथ एक अन्य नागालिग को भी पकड़ा है। बाकियों की भूमिका की जांच की जा रही है। इस ग्रुप में शामिल 27 में से 20 लोगों की प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जांच की जा चुकी है। जानकारी के अनुसार- इनमें से कुछ लोगों से आमने-सामने पूछताछ की गई है और कुछ के साथ फोन पर संपर्क किया गया। साइबर सेल को ग्रुप के सात लोगों के बारे में अभी तक कोई जानकारी हासिल नहीं हुई।
इंस्टाग्राम से मांगी गई जानकारी
जिन सात लोगों का साइबर सेल को पता नहीं चला है, उनके बारे में जानकारी जुटाने के लिए इंस्टाग्राम से संपर्क किया गया है। इंस्टाग्राम से लिखित रूप में इन लोगों की जानकारी मांगी गई है। ग्रुप में सिर्फ वे सदस्य ही शामिल हैं, जिनका इंस्टाग्राम पर खुद का अकाउंट है।
सात लोगों के बारे में ग्रुप एडमिन को भी नहीं जानकारी
हैरानी की बात यह है कि जिस ग्रुप की चैट को लेकर इतना हंगामा हो रहा है, उसके सात लोगों के बारे में ग्रुप एडमिन को भी जानकारी नहीं है। ग्रुप के दूसरे सदस्यों को भी इनके बारे में कुछ पता नहीं है। इसलिए इनके बारे में पता लगाने के लिए साइबर सेल ने इंस्टाग्राम को लिखा है।
ऐसे शुरू हुआ था ग्रुप
एक मीडिया रिपोर्ट में साइबर सेल के सूत्र के हवाले से कहा गया है कि अब तक हुई पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ है कि इस ग्रुप की शुरुआत नोएडा के एक नामी स्कूल के 12वीं क्लास के छात्र ने अपने चार करीबियों के साथ मिलकर की थी। वे इसका एडमिन था। इसके बाद धीरे-धीरे ग्रुप में और लोगों को जोड़ा गया। ग्रुप के सदस्यों की संख्या 27 तक पहुंच गई थी। इनमें से 20-22 ही ज्यादा एक्टिव थे।
नाबालिगों से पूछताछ में सामाजिक संस्थाओं से ली मदद
इस ग्रुप के कुछ सदस्य नागालिग हैं। उनसे उनके घरों पर ही पूछताछ की गई है। इसके लिए साइबर सेल ने नाबालिगों के लिए काम करने वाली कुछ सामाजिक संस्थाओं और विशेषज्ञों की सहायता भी ली है। ग्रुप के नॉन एक्टिव या साइलेंट नाबालिग सदस्यों से भी फोन पर ही पूछताछ हुई है।
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