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केरल-कर्नाटक में नियंत्रण में कोरोना,  महाराष्ट्र और गुजरात में क्यों नहीं सुधरे हालात क्यों?

नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस ( coronavirus ) का पहला मरीज केरल ( Kerala ) में 30 जनवरी को सामने आया जबकि कर्नाटक ( Karnataka ) में 10 मार्च को पहली मौत हुई थी। शुरुआती झटके मिलने के बावजूद दोनों दक्षिण भारतीय राज्यों ने अपने यहां महामारी बनीं कोरोना को लगभग काबू में कर लिया है। इसके उलट महाराष्ट्र और गुजरात में कोरोना ने देर से एंट्री मारी, लेकिन वहां पर कोरोना पूरी तरह से बेकाबू है।

गुजरात और महाराष्ट्र ( Gujrat and Maharashtra ) न केवल मरीजों की संख्या की दृष्टि से बल्कि मरने वाले मरीजों के लिहाज से भी भारत के टॉप टू स्टेट में शामिल हैं। इसलिए चर्चा का विषय यह है कि आखिर इन दोनों राज्यों में कोरोना थमने का नाम क्यों नहीं ले रहा है?

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दरअसल, केरल ने कोरोना की विभीषिका का अंदाजा लगा लिया था। यही कारण है कि केरल सरकार ( Kerala Government ) ने देश का पहला केस सामने आने से पहले हवाईअड्डों पर टेस्टिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी थीं। कोरोना न फैले इस बात को लेकर सख्ती बरती गई। अस्पतालों, सोशल डिस्टेंसिंग, स्वच्छता, मरीजों की पहचान, आइसोलेशन, ट्रेसिंग, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट पर सबसे ज्यादा जोर दिया। कर्नाटक ने भी बहुत हद तक उसी पैटर्न को फॉलो किया। दोनों पड़ोसी राज्य हैं।

सख्ती का नतीजा यह निकला कि पहले संक्रमण व मौत वाले राज्यों में हालात काबू में हैं। भारत में कोरोना की एंट्री के 85 दिन बाद भी दोनों राज्यों में अभी तक कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 450 पार नहीं हो पाया है।

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23 अप्रैल को देश में संक्रमण के 85 दिन पूरे हो गए। इस बीच गुजरात में 34 दिन में ही 2272 लोग कोरोना की चपेट में आ गए। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार केरल में 84 दिन में 447 जबकि कर्नाटक में 55 दिन में 445 मरीज मिले। नौ मार्च को कर्नाटक में पहला केस सामने आया व महाराष्ट्र में भी पहला मरीज मिला, लेकिन यहां आंकड़ा कर्नाटक की तुलना में बारह गुना हो गया व 84वें दिन मरीजों की संख्या 6430 हो गई है। महाराष्ट्र में मरने वालों की संख्या 283 तो गुजरात में 112 हैं।

महाराष्ट्र और गुजरात जैसा हाल दिल्ली का भी है। देश की राजधानी में पहला मामला 25 फरवरी को सामने आया और 58 दिन में 2156 लोग चपेट में आ गए।

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मौतों के मामले में गुजरात दूसरे नंबर पर

84वें दिन तक सबसे अधिक मौतें महाराष्ट्र में हुईं। यहां 283 की मौत हो चुकी है जबकि गुजरात में ये आंकड़ा 112 पहुंच गया यानी गुजरात दूसरा राज्य है जहां सबसे अधिक मौतें हुई हैं। तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश हैं जहां 80 की मौत हुई। तीन राज्यों में वायरस के दस्तक के बाद महाराष्ट्र में रोजाना औसतन 2.98, गुजराज में 1.13 जबकि महाराष्ट्र में 0.95 लोगों की मौत दर्ज हुई है।

केरल में हालात बेहतर

केरल में सबसे पहले वायरस मिला लेकिन 84वें दिन यहां हालात सबसे बेहतर हैं। यहां 447 मरीजों में से 324 ठीक हो चुके हैं जबकि तीन लोगों की मौत हुई है। वहीं कर्नाटक में 445 मरीजों में से अभी तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है।

कारोबार में अव्वल, कोरोना नियंत्रण में पिछड़े क्यों

जानकारों की मानें तो दोनों राज्यों को कारोबार के मामले में देश में अव्वल माना जाता है। मुंबई तो देश की आर्थिक राजधानी ही है। इसके बावजूद कोरोना को नियंत्रित करने में दोनों राज्य इसलिए पिछड़ गए कि यहां की सरकारों ने अपने स्तर पर ऐहतियातन कदम शुरुआती दौर में नहीं उठाए। महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई में लॉकडाउन की घोषणा के लिए केंद्र के निर्णय का इंतजार किया। मुंबई लोकल ट्रेनों व बसों में देर से बंद किया। इतना ही नहीं, सरकार के बार-बार अपील के बाद भी लोगों ने यात्रा करना नहीं रोका। फिर सरकार ने मजबूर होकर पूरी तरह से लोकल ट्रेन की आवाजाही बंद कर दी।



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