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रतन लाल की बेटी की मांग, हत्यारे को लटका दो फांसी पर

नई दिल्ली : सोमवार को दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ और समर्थन में चल रहे प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल रतनलाल (Ratan Lal) की मौत हो गई थी। उनकी मौत की खबर जैसे ही रतन लाल के परिवार को मिली घर में मातम छा गया। दुख के साथ-साथ परिवार के सदस्यों में हत्यारों के लिए आक्रोश भी है। अपने पिता रतन लाल की हत्या से उनकी बड़ी बेटी सिद्धि भी बेहद आहत है। मीडिया से बात करते हुए रतन लाल की 12 साल बेटी सिद्धि ने हत्यारों के लिए फांसी की सजा की सजा की मांग की।

रतन लाल के तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं

रतन लाल के परिवार में रतन लाल की मां संतरा देवी और पत्नी पूनम देवी के अलावा उनके तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं। रतनलाल अपने पीछे दो बेटी और एक बेटा को छोड़ गए है। इन तीनों की उम्र बेहद कम है। यह वह उम्र है, जब बच्चों में सोचने समझने की सलाहियत भी नहीं होती। बड़ी बेटी सिद्धि की उम्र 12 साल है तो वहीं दूसरी बेटी कनक 10 साल की है, जबकि रतनलाल के बेटे की उम्र महज सात साल है। रतन लाल के दो भाई भी हैं। एक छोटा भाई दिनेश गांव में मां के साथ रहकर खेतीबाड़ी करता है और गाड़ी चलाता है। वहीं एक और छोटा भाई रमाकांत बेंगलूरु में रहता है। रतनलाल का परिवार राजस्थान के सीकर जिले के रामगढ़ शेखावाटी स्थित तिहावली गांव में रहता है।

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बेटी ने पिता को दिया जाए शहीद का दर्जा

रतन लाल की 12 साल की बड़ी बेटी सिद्धि दुख की इस घड़ी में पूरे समय मां के साथ-साथ है। वह पिता की मौत की खबर सुनकर अपनी मां पूनम देवी के साथ दिल्ली आई थी। वह अस्पताल से लेकर पिता की डेड बॉडी को अपने गांव ले जाने तक पूरे समय उनके साथ रही। इस नन्ही सी उम्र में सिद्धि अपनी मां और अपने दोनों छोटे भाई-बहनों को संभाल रही है और उसने अपने दुखों को जज्ब कर रखा है। अपने परिवार को बेहाल देखकर वह अपना दर्द भूल गई है। लेकिन बीच-बीच में उन हत्यारों को लेकर उसका गुस्सा फूट पड़ता है। उसने मीडिया से बात करते हुए दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की और कहा कि हत्यारों को फांसी दी जाए।

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पिता को शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग की

मीडिया से बात करते हुए सिद्धि ने अपने पिता को शहीद का दर्जा दिए जाने की भी मांग की। उसने कहा कि उनके पिता की मौत ऑन ड्यूटी हुई है। वह देश की सुरक्षा कर रहे थे। इसलिए उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाए।

रतनलाल 22 साल से दिल्ली पुलिस की सेवा में थे। वह 1998 में दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए थे। हत्या से पहले उनकी तैनाती गोकुलपुरी सब डिवीजन के एसीपी ऑफिस में थी।



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