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भारतीय वायुसेना का फैसला, चीन और पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात होंगे 18-18 राफेल विमान

नई दिल्ली। विजयदशमी के मौके पर भारतीय वायुसेना को फ्रांस ने पहला राफेल लड़ाकू विमान सौंप दिया। हालांकि अभी भारत आने में उसे साल भर के करीब लग जाएगा, लेकिन अगले 2-3 सालों में भारत को ऐसे 36 राफेल लड़ाकू विमान मिलने वाले हैं। इतना तो पहले से तय था कि राफेल विमान की खरीद पड़ोसी मुल्क चीन और पाकिस्तान के लिए की जा रही है, क्योंकि दोनों देशों के साथ भारत का सीमा विवाद चल रहा है। ऐसे में राफेल के जरिए भारतीय वायुसेना को नई मजबूती मिली है।

चीन-पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात होंगे राफेल विमान

पहला राफेल सौंपे जाने के बाद भारतीय वायुसेना ने ये फैसला किया है कि 36 राफेल विमानों की तैनाती चीन और पाकिस्तान की सीमाओं की नजदीक ही की जाएगी। वायुसेना ने तय किया है कि पाकिस्तान और चीन की सीमा पर 18-18 लड़ाकू विमान तैनात किए जाएंगे। पहले 18 राफेल विमान अंबाला वायुसेना एयरबेस में तैनात होंगे, जबकि बाकि के 18 पश्चिम बंगाल के हाशिमारा एयरबेस में तैनात होंगे।

भारतीय वायुसेना के पायलट ट्रेनिंग के लिए जाएंगे फ्रांस

हालांकि अभी इसमें काफी वक्त लगेगा, क्योंकि अभी सभी राफेल लड़ाकू विमानों के भारत आने में ही काफी टाइम है। इसके बाद वायुसेना के पायलट इन विमानों को उड़ाने का प्रशिक्षण वहां हासिल करेंगे। इसके बाद इन्हें हिंदुस्तान लाया जाएगा। वायुसेना सूत्रों के अनुसार, कुल चार विमान पहली खेप में अगले साल मई में अंबाला एयरबेस पर पहुंचेंगे।

दो से तीन सालों में भारत को मिल जाएंगे सभी 36 लड़ाकू विमान

इसके बाद कुछ-कुछ महीनों के अंतराल में चार-चार राफेल विमानों की खेप अंबाला और हाशिमारा एयरबेस पर पहुंचेगी। अगले दो से तीन सालों में सभी 36 राफेल विमान भारत को मिल जाएंगे। सूत्रों का कहना है कि अभी ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। अलबत्ता 114 लड़ाकू विमानों की खरीद की प्रक्रिया अलग से शुरू की गई है। लेकिन यह तय नहीं है कि इन विमानों की खरीद किसी देश से की जाएगी।



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