शिवमोगा: बी वेंकटगिरि ने तैयार किया अनोखा उद्यान, 5 सौ विलुप्ताप्राय हर्बल पौधों का करते हैं संरक्षण

नई दिल्ली। कर्नाटक ( शिवमोगा) के एक पर्यावरणविद्, बी. वेंकटगिरी ने पर्यावरण संरक्षण और विलुप्तप्राय पौधो के संवर्द्धन के लिए अनोखा उद्यान तैयार किया है। यह उद्यान उन्होंने अपने दम पर घर के कैंपस में तैयार किया है। बता दें कि वेंकटगिरी धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण और मेडिसिनल प्लांट में रुचि होने के कारण इसकी एक अलग से नर्सरी तैयार की है। यह अब एक उद्यान का रूप धारण कर चुका है।
बी. वेंकटगिरी द्वारा अपने घर पर 500 से ज्यादा हर्बल पौधों का संरक्षण और संवर्द्धन पर्यावरण व बागवानी के प्रति उनके समर्पण और ग्लोबल वार्मिंग के प्रति उनकी चिंता का अनुकरणीय उदाहरण है।
Shivamogga: Environmentalist preserves 500 varieties of herbal plants by creating unique garden at house
— ANI Digital (@ani_digital) September 15, 2019
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युवाओं को बताते हैं इसकी अहमियत
शिवमोगा निवासी 73 वर्षीय बी वेंकटगिरी ने हर्बल पौधों के महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कर्नाटक के सभी जिलों व क्षेत्रों का दौरा किया है। उन्होंने विलुप्त मानी जाने वाली 1,500 से अधिक किस्मों के बीज भी एकत्र किए हैं।
इस बारे में वेंकटगिरी ने बताया है कि मैंने ऐसा इसलिए किया है कि इन विलुप्तप्राय काफी उपयोगी पौधों में अपने युवा पीढ़ी को हस्तांतरित करना था। उन्होंने कहा कि मैंने पूरे कर्नाटक का भ्रमण किया। पौधों के इन नस्लों को इकट्ठा किया।
उसके बाद मैंने अपने पवित्र ग्रंथों में उल्लिखित विशेष पौधों के साथ नवग्रहवन, नंदनवन, नक्षत्रवान, पवित्रा वाना, अश्विनी वाना जैसे हर्बल पौधों को उगाने का काम धार्मिक विधि विधान से किया है।
B Venkatagiri, environmentalist: I travelled across Karnataka and collected these breeds. I have created religious method of growing herbal plants like Navagrahavana, Nandanavana, Nakshatravana, Pavitra vana, Ashwini vana with special plants mentioned in our sacred texts. (14.09) https://t.co/OXjewuwL6V pic.twitter.com/VoUyAH2XlQ
— ANI (@ANI) September 15, 2019
स्कूल और कॉलेजों में लगाते हैं पौधों की प्रदर्शनी
कर्नाटक के युवाओं को इन पौधों के प्रति जागरूक करने के लिए वह हर्बल पौधों की प्रदर्शनी स्कूलों और कॉलेजों में लगाते हैं। साथ ही उन्हें इन पौधों की मानव जीवन में अहमियत और चिकित्सीय उपचार में इसकी उपयोगिता के बारे में भी बताते हैं।
बता दें कि जशपुरानगर निवासी पर्यावरणविद शिवानंद मिश्रा भी इस काम में लगे हुए हैं। उन्होंने शासन और प्रशासन की ओर से उपेक्षित बरगद व पीपल के पौधों के संरक्षण के लिए लोगों को जानकारी देते हैं और युवाओं को इनके पौधों को लगाने के लिए जागरूक भी करते हैं। वह अभी तक सभी के सहयोग से 50 हजार से अधिक पौधे लगा चुके हैं।
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