चंद्रयान-2: ISRO के ऑर्बिटर से भौचक्के क्यों हैं नासा, रूस, चीन और यूरोपीय स्पेस ऐजेंसियां?

नई दिल्ली। इसरो मिशन चंद्रयान-2 के तहत विक्रम लैंडर से संपर्क करने की पूरी कोशिश कर रहा है। इस प्रयास में उसे अभी तक सफलता नहीं मिली है। लेकिन भारत के लिए राहत की बात यह है कि इसरो का ऑर्बिटर दुनिया के सबसे अच्छे ऑर्बिटर्स में से एक है। चंद्रयान मिशन के लिए भी ऑर्बिटर मिशन की रीढ़ है। क्योंकि यह चंद्रमा पर वास्तविक प्रयोग करेगा। चांद के अनसुलझे रहस्यों पर से पर्दा उठा सकता है।
ऑर्बिटर चंद्रयान-2 की सबसे बड़ी सफलता
ऑर्बिटर चंद्रयान-2 की सबसे बड़ी सफलता अमरीकी एजेंसी नासा, रूस, चीन और यूरोपियन स्पेस एजेंसी के लिए हैरत की बात ये है कि भारत ने केवल एक वर्ष के लिए ऑर्बिटर भेजी। लेकिन इसका प्रदर्शन इतना शानदार रहा कि यह अब साढ़े सात साल के आसपास घूम सकता है। यह इसरो की सबसे बड़ी सफलता है।
इसरो के अध्यक्ष डॉ. के सिवन ने यह भी दावा किया है कि ऑर्बिटर 7 साल से अधिक समय तक चंद्रमा के चारों ओर घूम सकती है। इतना ही नहीं ऑर्बिटर साढ़े सात वर्षों तक वहां पर मौजूद सभी संभव तत्वों, मिनरल्स व मौसम से लेकर वहां के वातावरण के बारे में इसरों को जानकारी मुहैया कराता रहेगा।
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बस इस बात का इंतजार है
बता दें कि चांद की सतह से 335 मीटर पहले चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से इसरो का संपर्क टूट गया। तब से लेकर वैज्ञानिक विक्रम से संपर्क साधने की कोशिशों से जूझ रहे हैं। पूरा देश उनके साथ खड़ा है और उस पल का इंतजार कर रहा है जब लैंडर विक्रम की ध्वनि तरंगें आर्बिटर और इसरो के धरती पर बने केंद्रों में गुंजायमान हों।
समय तेजी से बीता जा रहा है। सिर्फ 14 दिन थे इसरो के पास इस काम में मुकाम तक पहुंचाने के लिए है। उसमें से करीब चार दिन बीत चुके हैं।
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उम्मीदें बरकरार
हालांकि समय बीतने के साथ लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की उम्मीदें धूमिल नहीं होंगी, लेकिन इस लक्ष्य की एक तय समयसीमा है। विक्रम की हार्ड लैंडिंग से 14 दिन के भीतर यानी 21 सितंबर तक इसरो को संपर्क साधने में कामयाबी हासिल करनी होगी।
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