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कुलभूषण जाधव मामला: ICJ आज सुनाएगा अपना फैसला, भारत के लिए इम्तिहान की घड़ी

द हेग। भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव से जुड़े मामले में बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय न्याय अदालत अपना फैसला सुनाएगी। पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जाधव को साजिश के तहत मौत की सजा सुनाई है, जिसको ICJ में चुनौती दी गई है।

बता दें कि पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में बंद कमरे में सुनवाई के बाद 'जासूसी और आतंकवाद' का आरोप लगाकर 49 वर्षीय भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कुलभूषण जाधव को मौत की सजा सुनाई थी।

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भारत ने इसको लेकर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई और ICJ में चुनौती दी। अब द हेग के ‘पीस पैलेस’ में 17 जुलाई को भारतीय समयानुसार शाम साढे छह बजे सार्वजनिक सुनवाई होगी जिसमें प्रमुख न्यायाधीश अब्दुलकावी अहमद यूसुफ फैसला पढकर सुनाएंगे।

अंतर्राष्ट्रीय न्याय कोर्ट

भारत के लिए चुनौती

बुधवार को दिन भारत के लिए इम्तिहान की घड़ी है। इससे पहले फरवरी 2019 को सुनवाई के दौरान पाकिस्तान की ओर से ICJ में तमाम तरह की दलील दी गई थी। हालांकि भारत की ओर से पाकिस्तान के हर आरोपों का जवाब दिया गया था।

पाकिस्तान ने कहा था कि जाधव भारतीय जासूस है जो एजेंसी 'रिसर्च एंड एनालिसिस विंग' यानी ( RAW ) से जुड़ा है। जाधव को 3 मार्च 2016 को बलूचिस्तान से जासूसी और आतंकवाद के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था।

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भारत के लिए चुनौती है कि कैसे पाकिस्तान के कब्जे से जाधव को वापस लाया जाए। क्योंकि इससे पहले ICJ ने सुनवाई करते हुए पाकिस्तान को यह आदेश दिया था कि जाधव को काउंसलर एक्सेस दी जाए। हालांकि पाकिस्तान ने नहीं माना।

 

पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल अनवर मंसूर खान ने तर्क दिया था कि जाधव देश को अस्थिर करने के लिए बलूचिस्तान भेजे गए भारतीय जासूस थे और इसलिए काउंसलर एक्सेस के हकदार नहीं है। उन्होंने कहा था कि जाधव को राहत देने के लिए भारत का दावा खारिज किया जाना चाहिए।

हालांकि इसके बाद पाकिस्तान ने खानापूर्ति करते हुए जाधव की मां और बहन को पाकिस्तान आने की इजाजत दी। लेकिन एक ड्रामा की तरह जाधव से उन्हें मिलाया। इसको लेकर भारत ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी।

कुलभूषण जाधव

क्या है पूरा मामला

आपको बता दें कि कुलभूषण जाधव का मामला मार्च, 2016 का है। दरअसल पाकिस्तान की ओर से यह कहा गया है कि पाक आर्मी ने कुलभूषण जाधव को अफगानिस्तान में जासूसी करने के आरोप में बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया है। इसके बाद पाकिस्तानी मिलिट्री कोर्ट ने 10 अप्रैल 2017 को कुलभूषण जाधव को दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई।

भारत ने इसको लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया और फिर अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में अपील की। इससे पहले अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कुलभूषण की सजा पर रोक लगा दी थी। भारत ने अपना पक्ष रखते हुए इससे पहले कहा है कि कुलभूषण जाधव को पाकिस्तानी आर्मी ने उन्हें अफगानिस्तान के बॉर्डर से अपहरण किया है।

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भारत ने यह भी तथ्य रखे हैं कि कुलभूषण जाधव को ईरान से पकड़ा गया है और बलूचिस्तान से फर्जी गिरफ्तारी दिखाई है। इस बात का खुलासा पाकिस्तान में जर्मनी के पूर्व राजदूत गुंटक मुलक ने किया था। इसके अलावा भारत ने यह भी दलील दी कि पाकिस्तान ने वियना संधि का भी उल्लंघन किया है।

पाकिस्तान से 16 बार काउंसलर एक्सेस मांगा गया, लेकिन पाकिस्तान लगातार काउंसलर एक्सेस देने से मना करता रहा है। जिसके बाद से 18 मई 2017 को सुनवाई करते हुए अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट ने पाकिस्तान को निर्देश दिया है कि मामले की सुनवाई पूरी होने तक जाधव को फांसी न दी जाए।

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