मॉब लिंचिंग: अधिवक्ता सुधीर ओझा ने कोंकणा और अपर्णा सेन सहित 49 के खिलाफ कराया केस दर्ज

नई दिल्ली। उन्मादी भीड़ की हिंसा ( Mob lynching ) को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ( Pm Narendra Modi ) को पत्र लिखने वाले फिल्मी कलाकारों व 50 बुद्धिजीवियों के खिलाफ मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मुजफ्फरपुर की अदालत में एक केस दर्ज कराया गया है।
यह परिवाद अधिवक्ता सुधीर के ओझा ने मुजफ्फरपुर के सीजेएम एसके तिवारी की कोर्ट में दाखिल कराया है।
ओझा की शिकायत पर सुनवाई 3 अगस्त को
अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने अभिनेत्री अर्पना सेन, अडूर गोपाल कृष्णन, शुभा दुग्गल, सुमित्रा चटर्जी, रेवती, कोंकणा सेन, श्याम बेनेगल, मणिरत्नम व इतिहासकार रामचंद्र गुहा सहित 49 बुद्धिजीवि शामिल हैं।
ओझा की ओर से दर्ज वाद पर सीजेएम एसके तिवारी ने 3 अगस्त की तिथि सुनवाई के लिए मुकर्रर की है।
Sudhir K Ojha, Advocate: Have filed criminal case before a Bihar court against 9 people including Aparna Sen,Revathi, Konkana Sen that the 49 people who wrote to PM alleging intolerance in country had deliberately tried to tarnish country's image. Hearing is on Aug 3 (27/07) pic.twitter.com/p54wYavmqF
— ANI (@ANI) July 28, 2019
कलाकारों और बुद्धिजीवियों की मंशा पर उठाए सवाल
अधिवक्ता सुधीर ओझा ने अपने परिवाद में मॉब लिंचिंग के मुद्दे पर पीएम मोदी को पत्र लिखने वाले कलाकारों और बुद्धिजीवियों पर गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि पीएम मोदी से सवाल पूछने वाले कलाकारों की मंशा देश की छवि खराब करने वाला है ।
पत्र लिखने वाले कलाकार देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को खराब करना चाहते हैं। इन लोगों की मंशा ठीक नहीं है।
पत्र लिखने वाले कलाकारों और बुद्धिजीवियों की मंशा देश को टुकड़े- टुकड़े करना है।
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सेलेब्स ने पीएम से मांगा था जवाब
बता दें कि 25 जुलाई को मॉब लिंचिंग की घटना को लेकर देश के 49 कलाकारों और बुद्धिजीवियों ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी थी। इन सेलेब्स ने पीएम नरेंद्र मोदी से कहा कि सिर्फ संसद में मॉब लिंचिंग की निंदा करने से काम नहीं चलेगा।
इसके खिलाफ क्या एक्शन लिया जा रहा है? वो बताइए। सेलेब्स ने कहा कि हमें लगता है कि ऐसे किसी भी क्राइम की बेल नहीं होनी चाहिए और ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान होना चाहिए।
ऐसी हत्या करने वालों को बिना पैरोल के आजीवन करावास की सजा सुनाई जानी चाहिए।
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