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राहुल गांधी नागरिकता केसः गृह मंत्रालय का RTI के तहत जवाब देने से इनकार

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस राहुल गांधी की नारगिरकता को लेकर खूब शोर शराबा हुआ। खास तौर पर भारतीय जनता पार्टी ने ही इस मुद्दे को जमकर उछाला, लेकिन अब गृह मंत्री अमित शाह के मंत्रालय ने ही इस सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया है। दरअसल मंत्रालय ने जवाब न देने के पीछे एक बड़ा कारण बताया है। इसके चलते मंत्रालय राहुल गांधी की नागरिकता संबंधि जानकारी सार्वजनिक रूप से साझा नहीं कर सकता।


ये है गृह मंत्रालय का तर्क
राहुल गांधी नागरिकता पर लगाता उठ रहे सवालों के बीच गृहमंत्रालय ने अपनी ओर से इस सवाल के जवाब को देने से इनकार कर दिया है। इसके लिए गृहमंत्रालय ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम की कुछ धाराओं का तर्क दिया है। मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि अधिनियम की कुछ धाराओं के तहत जानकारी साझा नहीं की जा सकती है। ऐसा किया गया तो इससे जांच में दिक्कत आएगी।

 

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इस वजह से आया मंत्रालय का रिएक्शन
अमित शाह के मंत्रालय की ओर से ये रिएक्शन उस वक्त आरटीआई के जवाब में आया है जिसमें राहुल गांधी की नागरिकता पर स्थिति साफ करने की जानकारी मांगी गई थी।

भाजपा सांसद ने ही लगाई आरटीआई
राहुल की नागरिकता पर सवाल उठाने वाले भी भाजपा के ही सांसद हैं। सुब्रमण्यम स्वामी ने राहुल की नागरिकता को लेकर आरटीआई डाली थी। स्वामी इस आरटीआई के जरिये जानना चाहते थे कि राहुल गांधी भारतीय हैं या फिर किसी और देश के नागरिक। सुब्रमण्यम की शिकायत पर गृह मंत्रालय ने अप्रैल में राहुल के खिलाफ एक नोटिस जारी किया था। राहुल को ब्रिटिश नागरिक होने के आरोपों पर 15 दिन के अंदर जवाब देने को कहा था।

 

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अब एक और आरटीआई
सुब्रमण्यम स्वामी की आरटीआई के बाद एक और आरटीआई लगाई गई। इस आरटीआई के जरिए मंत्रालय से राहुल को तब (सुब्रमण्यम स्वामी को) भेजे गए नोटिस और उनकी तरफ से आए जवाब के बारे में पूछा गया। जबकि जवाब मिला, 'आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (एच) और (जे) के तहत जानकारी साझा नहीं की जा सकती है। धारा 8 (1) (एच), जांच में बाधा पैदा करने वाली जानकारी शेयर करने से रोकती है।


स्वामी ने ये की थी शिकायत
भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मामले में अपनी शिकायत में कहा था कि राहुल यूनाइटेड किंगडम (यूके) में रजिस्टर्ड बैकऑप्स लिमिटेड नाम की कंपनी के निदेशक और सचिव पद पर रहे हैं। कंपनी के 10 अक्टूबर 2005 से 31 अक्टूबर 2006 तक के सालाना रिटर्न में राहुल की राष्ट्रीयता ब्रिटिश और जन्मतिथि 19 जून 1970 बताई। अप्रैल में इसी मसले पर मंत्रालय ने राहुल को एक नोटिस भेजा था, जिसमें उनसे इस मसले पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा गया था।

 

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सर्वोच्च न्यायालय साफ कर चुका अपना रुख
इस मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय भी अपना रुख साफ कर चुका है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में भी इस संबंध में याचिका दाखिल की गई थी। इसमें कहा गया था राहुल की नागरिकता मामले पर गृह मंत्रालय को जल्द जांच के निर्देश दिए जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने साफ किया कि कोई कंपनी या फर्म राहुल गांधी को ब्रिटिश नागरिक बताती है, तो वे वहां के नागरिक हो गए।



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