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भारतीय सेना ने ग्‍लव्‍स विवाद से खुद को किया अलग, बलिदान चिन्‍ह धोनी का निजी निर्णय

नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्‍तान महेंद्र सिंह धोनी के आईसीसी विश्व कप के दौरान दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच के दौरान ग्‍लव्‍स पर ‘बलिदान चिन्ह' को लेकर उठे विवाद से सेना ने खुद को अलग कर लिया है। भारतीय सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ग्‍लव्‍स पर सेना के बलिदान चिन्‍ह लगाने का निर्णय विकेटकीपर एमएस धोनी का निजी निर्णय है।

बलिदान पैराशूट रेजीमेंट की विशेष पहचान

भारतीय सेना के जीओसी इन सी साउथ वेस्टर्न कमान लेफ्टिनेंट जनरल चेरिश मैथसन ने भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) में पासिंग आउट परेड का निरीक्षण करने के बाद कहा कि अपने दस्तानों पर बलिदान चिन्ह का उपयोग करना धोनी का निजी निर्णय है। सेना का इससे कोई लेना देना नहीं है। मैथसन का कहना है कि आइसीसी इस संबंध में निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है। बलिदान चिन्‍ह सेना की पैराशूट रेजीमेंट की स्पेशल फोर्स का प्रतीक चिन्ह है।

 

रेजीमेंट में 2011 से लेफ्टिनेंट कर्नल है धोनी

पैराशूट रेजीमेंट में 2011 से भारतीय टीम के पूर्व कप्‍तान व विकेटकीपर धोनी मानद लेफ्टिनेंट कर्नल हैं। उनके दस्तानों पर यह प्रतीक चिन्ह अंकित है। बता दें कि धोनी के ग्‍लव्‍स पर सेना के प्रतीक चिन्‍ह अंकित हैं। इस पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने आपत्ति जताई थी।

प्रायोजक का लोगो लगाने की है अनुमति

इस मुद्दे पर विवाद होने के बाद बीसीसीआई ने क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था से अनुमति देने का आग्रह किया था। बीसीसीआई की मांग को आईसीसी अस्वीकार कर दी है। आइसीसी ने साफ कर दिया है कि वह ऐसे किसी चिन्ह को पहनने की अनुमति नहीं दे सकता। विश्‍व कप में हिस्‍सा लेने वाले क्रिकेट खिलाडी केवल प्रायोजक का लोगो ही इस्तेमाल कर सकते हैं।



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