चमकी बुखार का जारी है कहर, झूठी है लीची की खबर, आखिर बच्चों की मौत से सरकार क्यों बेखबर!

नई दिल्ली। बिहार में चमकी बुखार ( chamki bukhar ) यानी एक्यूट इंसेफ्लाइटिस ( aes ) का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। इस बीमारी ने मुजफ्फरपुर से शुरुआत करते हुए राज्य के 16 जिलों को अपनी चपेट में ले लिया है। इस बीमारी से अब तक पूरे प्रदेश में 150 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई है, जबकि 600 से ज्यादा बच्चे चमकी बुखार से प्रभावित हुए हैं।
आलम ये है कि मौत का आकंड़ा हर दिन बढ़ता जा रहा है और नीतीश सरकार खामोश हैं। बच्चों की मौत से 'बेखबर' बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस भयानक बीमारी पर बात तक करना पसंद नहीं कर रहे हैं। उल्टा मीडिया पर ही सुशानस बाबू भड़क रहे हैं।

मुजफ्फरपुर में अब तक 128 बच्चों की मौत
चमकी बुखार ( chamki fever ) ने सबसे ज्यादा तबाही बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में मचा रखी है। यहां अब तक 128 बच्चों की मौत हो चुकी है। इनमें SKMCH में 108 और केजरीवाल हॉस्पिटल में 20 बच्चों की मौत चमकी बुखार से हो चुकी है।
इसके अलावा समस्तीपुर, सीतामढ़ी, सारण, बेतिया, वैशाली, सीवान, भागलपुर, मोतिहारी, बेतिया में भी चमकी बुखार से कई बच्चों की मौत हो चुकी है। मुजफ्फरपुर जिले में ही अब तक 580 बच्चे इस बीमारी से प्रभावित हो चुके हैं।
Bihar: Death toll due to Acute Encephalitis Syndrome (AES) rises to 128 in Muzaffarpur. 108 deaths at SKMCH & 20 deaths at Kejriwal hospital. pic.twitter.com/btswzE3hEg
— ANI (@ANI) June 22, 2019
जांच के लिए पहुंची केन्द्रीय टीम
शुक्रवार को केंद्र सरकार के अपर सचिव मनोज झलानी, एडीशनल हेल्थ सेक्रेटरी, दिल्ली के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण कुमार सिंह, दिल्ली से संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. सत्यम, बिहार के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार और जिलाधिकारी आलोक रंजन घोष मामले की जांच के लिए मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच पहुंचे।
उन्होंने पीआइसीयू का निरीक्षण कर पीड़ित बच्चों का हाल जाना और चिकित्सकों के साथ बैठक की। हालांकि, इस टीम ने अभी तक मामले को लेकर कुछ भी नहीं कहा है।

लीची की खबर निकली झूठी
बच्चों की मौत और इस गंभीर बीमारी पर सियासत भी गर्म है। बिहार के कुछ नेता और सांसद ने चमकी बुखार ( Chamki Bukhar ) और बच्चों की मौत के लिए लीची को जिम्मेदार ठहराया। लेकिन, यह खबर पूरी तरह से झूठी निकली। मुजफ्फरपुर स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र (एनआरसीएल) के निदेशक विशाल नाथ का साफ कहना है कि लीची खाने से बच्चों की मौत होती तो जनवरी और फरवरी के महीने में यह बीमारी नहीं होती।
उन्होंने कहा कि इस बीमारी का लीची से कोई संबंध नहीं है और अभी तक कोई भी ऐसा शोध नहीं हुआ है, जो इस तर्क को साबित कर पाया हो। उन्होंने कहा कि यह खबर पूरी तरह झूठी और भ्रामक है।

दिल्ली तक गूंजा परिजनों की चीख
चमकी बुखार ( Chamki Bukhar ) से बच्चों की लगातार मौत हो रही है और मृतक के परिजनों की चीख दिल्ली तक पहुंच चुकी है। शुक्रवार को लोकसभा और राज्यसभा में यह मुद्दा उठा। राज्यसभा में बच्चों की मौत पर मौन भी रखा गया। लेकिन, कार्रवाई के नाम पर सब खामोश हैं।
विपक्षी दलों ने केंद्र एवं राज्य सरकार को इसके लिए जिम्मेवार टहराते हुए तुरंत कदम उठाने की मांग की। कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने इस मौतों के लिए मौजूदा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।

आखिर क्यों बेअसर हो रहें हैं नीतीश कुमार!
पिछले एक महीने से बिहार में मौत का मातम पसरा हुआ है। परिजनों की चीख-पुकार से इलाका गूंज रहा है। लेकिन, सूबे के मुखिया नीतीश कुमार 'बेखबर और बेअसर' दिखाई दे रहे हैं। इतने दिनों में उन्होंने एक बार मुजफ्फरपुर का दौरा किया और खामोश बैठे हैं।
नीतीश कुमार चमकी बुखार ( Chamki Bukhar ) से बच्चों की मौत पर न तो कुछ बोल रहे हैं और न ही समस्या का समाधान कर रहे हैं। इतना ही नहीं सवाल पूछने पर भी खामोश हैं और उल्टा मीडिया पर ही भड़क रहे हैं। नीतीश कुमार को देखकर ऐसा लग रहा है कि जैसे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। आलम ये हो चुका है कि नीतीश कुमार को लेकर बिहार और देश की जनता में आक्रोश है। मुजफ्फरपुर में भी जब नीतीश कुमार पहुंचे तो 'गो बैक' का नारा लगा था।

ऐसे में सवाल यह है कि आखिर नीतीश कुमार खामोश क्यों हैं? क्या बच्चों की मौत की खबर उनके कानों तक नहीं पहुंच रही? क्या परिजनों की चीख-पुकार उन्हें सुनाई नहीं दे रहा है? क्या बिहार में इस बीमारी से हर साल यूं ही बच्चे मरते रहेंगे? क्या सुशासन बाबू के शासन का यही तरीका है? सवाल कई हैं, जिन्हें नीतीश कुमार को जवाब देना चाहिए? बच्चों की मौत पर नीतीश कुमार को सुध लेनी चाहिए और जल्द से जल्द इस महाकाल से निजात पाने का रास्ता ढूंढना चाहिए।
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